नया टैक्स स्लैब 2025: कितनी कमाई पर
कितना टैक्स? आसान कैलकुलेशन, मार्जिनल रिलीफ और अतिरिक्त जानकारी
भारत सरकार ने 2025 के बजट में नया टैक्स रेजीम पेश किया है, जिसमें टैक्स स्लैब्स को सरल और टैक्सपेयर के लिए फायदेमंद बनाया गया है। हालांकि, पहले दिन न्यूज़ चैनलों ने गलत कैलकुलेशन दिखाकर भ्रम फैलाया। इस लेख में, हम नए टैक्स स्लैब, स्टैंडर्ड डिडक्शन, मार्जिनल रिलीफ और कुछ अतिरिक्त टैक्स नियमों को आसान भाषा में समझाएंगे, ताकि आप अपनी कमाई पर टैक्स आसानी से कैलकुलेट कर सकें। यह लेख इतना सरल है कि पांचवीं-छठी कक्षा का बच्चा भी इसे समझ सकता है।
नया टैक्स स्लैब क्या है?
नया टैक्स रेजीम 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा और वित्तीय वर्ष 2026 (जुलाई 2026 में ITR फाइलिंग) के लिए मान्य होगा। नीचे टैक्स स्लैब्स और कुछ अतिरिक्त नियमों का टेबल दिया गया है:
कमाई (सालाना) | टैक्स दर | अतिरिक्त नियम/विवरण |
---|---|---|
0 - 4 लाख | 0% | कोई टैक्स नहीं। स्टैंडर्ड डिडक्शन (75,000 रुपये) लागू। |
4 - 8 लाख | 5% | टैक्स स्लैब-वाइज कैलकुलेशन। 12 लाख तक रिबेट के कारण टैक्स जीरो। |
8 - 12 लाख | 10% | 12 लाख तक की कमाई पर रिबेट उपलब्ध। 4% सेस लागू। |
12 - 16 लाख | 15% | मार्जिनल रिलीफ 12 लाख से 12,75,000 तक लागू। |
16 - 20 लाख | 20% | स्टैंडर्ड डिडक्शन के बाद कैलकुलेशन। सेस लागू। |
20 - 24 लाख | 25% | उच्च आय वर्ग के लिए। सेस के साथ टैक्स बढ़ता है। |
24 लाख से अधिक | 30% | सभी प्रकार की आय (सैलरी, बिजनेस, निवेश) पर लागू। |
अतिरिक्त बिंदु:
- स्टैंडर्ड डिडक्शन: 75,000 रुपये सभी सैलरीड कर्मचारियों के लिए।
- सेस: टैक्स पर 4% उपकर (सेस) लागू।
- मार्जिनल रिलीफ: 12 लाख से 12,75,000 रुपये की कमाई पर टैक्स को अतिरिक्त आय के बराबर या कम रखने की सुविधा।
- ITR फाइलिंग: नया स्लैब वित्तीय वर्ष 2026 (जुलाई 2026) में लागू होगा।
- कैपिटल गेन टैक्स: अलग नियम (LTCG: 12.5%, STCG: 20%)।
- पुराना बनाम नया रेजीम: पुराने रेजीम में HRA, 80C जैसे डिडक्शन उपलब्ध, नए में सीमित छूट।
टैक्स कैलकुलेशन कैसे करें: आसान उदाहरण
टैक्स स्लैब-वाइज कैलकुलेट होता है, यानी पूरी कमाई पर एकसमान टैक्स दर लागू नहीं होती। आइए, अलग-अलग कमाई के आधार पर टैक्स कैलकुलेशन समझते हैं:
केस 1: 4 लाख तक की कमाई
- कमाई: 4 लाख
- कैलकुलेशन: 0% = 0 रुपये
- सेस: 0 रुपये
- फाइनल टैक्स: 0 रुपये
- नोट: 4 लाख तक कोई टैक्स नहीं। स्टैंडर्ड डिडक्शन लागू होने से टैक्स योग्य आय और कम होती है।
केस 2: 8 लाख की कमाई
- कमाई: 8 लाख
- कैलकुलेशन:
- 0-4 लाख: 0% = 0 रुपये
- 4-8 लाख: 5% = 4 लाख × 5% = 20,000 रुपये
- टोटल टैक्स: 20,000 रुपये
- रिबेट: 12 लाख तक की कमाई पर पूरा टैक्स माफ, इसलिए टैक्स = 0 रुपये
- सेस: 0 रुपये
- फाइनल टैक्स: 0 रुपये
केस 3: 12 लाख की कमाई
- कमाई: 12 लाख
- कैलकुलेशन:
- 0-4 लाख: 0% = 0 रुपये
- 4-8 लाख: 5% = 4 लाख × 5% = 20,000 रुपये
- 8-12 लाख: 10% = 4 लाख × 10% = 40,000 रुपये
- टोटल टैक्स: 20,000 + 40,000 = 60,000 रुपये
- रिबेट: 12 लाख तक कोई टैक्स नहीं, इसलिए टैक्स = 0 रुपये
- सेस: 0 रुपये
- फाइनल टैक्स: 0 रुपये
केस 4: 12.1 लाख की कमाई (मार्जिनल रिलीफ का केस)
- कमाई: 12,10,000
- कैलकुलेशन:
- 0-4 लाख: 0% = 0 रुपये
- 4-8 लाख: 5% = 4 लाख × 5% = 20,000 रुपये
- 8-12 लाख: 10% = 4 लाख × 10% = 40,000 रुपये
- 12-12.1 लाख: 15% = 10,000 × 15% = 1,500 रुपये
- टोटल टैक्स: 20,000 + 40,000 + 1,500 = 61,500 रुपये
- मार्जिनल रिलीफ:
- अतिरिक्त कमाई: 12,10,000 - 12,00,000 = 10,000 रुपये
- टैक्स (61,500) और अतिरिक्त कमाई (10,000) में से कम राशि = 10,000 रुपये
- सेस: 10,000 × 4% = 400 रुपये
- फाइनल टैक्स: 10,000 + 400 = 10,400 रुपये
केस 5: 17 लाख की कमाई
- कमाई: 17 लाख
- कैलकुलेशन:
- 0-4 लाख: 0% = 0 रुपये
- 4-8 लाख: 5% = 4 लाख × 5% = 20,000 रुपये
- 8-12 लाख: 10% = 4 लाख × 10% = 40,000 रुपये
- 12-16 लाख: 15% = 4 लाख × 15% = 60,000 रुपये
- 16-17 लाख: 20% = 1 लाख × 20% = 20,000 रुपये
- टोटल टैक्स: 20,000 + 40,000 + 60,000 + 20,000 = 1,40,000 रुपये
- सेस: 1,40,000 × 4% = 5,600 रुपये
- फाइनल टैक्स: 1,40,000 + 5,600 = 1,45,600 रुपये
मार्जिनल रिलीफ क्या है?
मार्जिनल रिलीफ 12 लाख से 12,75,000 रुपये की कमाई पर लागू होता है, ताकि मामूली आय बढ़ने से टैक्स का बोझ असंगत न बढ़े।
उदाहरण:
- कमाई: 12,70,000 रुपये
- टैक्स: 70,500 रुपये (स्लैब के अनुसार)
- मार्जिनल रिलीफ:
- अतिरिक्त कमाई: 12,70,000 - 12,00,000 = 70,000 रुपये
- टैक्स (70,500) और अतिरिक्त कमाई (70,000) में से कम राशि = 70,000 रुपये
- सेस: 70,000 × 4% = 2,800 रुपये
- फाइनल टैक्स: 70,000 + 2,800 = 72,800 रुपये
स्टैंडर्ड डिडक्शन का मतलब
सभी सैलरीड कर्मचारियों को 75,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है। इससे आपकी टैक्स योग्य आय कम होती है।
उदाहरण:
- कमाई: 8 लाख
- डिडक्शन के बाद: 8,00,000 - 75,000 = 7,25,000 रुपये
- फिर 7,25,000 रुपये पर टैक्स कैलकुलेशन होगा।
पुराना vs नया टैक्स स्लैब
पुराने स्लैब में टैक्स दरें अधिक थीं और गैप असमान थे। नए स्लैब में 4 लाख का एकसमान गैप है, जिससे कैलकुलेशन आसान है। उदाहरण: 17 लाख पर पुराना टैक्स 2,10,000 रुपये, नया टैक्स 1,45,600 रुपये।
कैपिटल गेन टैक्स
कैपिटल गेन टैक्स इनकम टैक्स स्लैब से अलग होता है:
- लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG): 12.5% (1 साल से अधिक होल्डिंग)
- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG): 20% (1 साल से कम होल्डिंग)
उदाहरण:
- 1 लाख का निवेश 2 लाख बन गया।
- गेन: 2 लाख - 1 लाख = 1 लाख
- LTCG: 1 लाख × 12.5% = 12,500 रुपये
टैक्स बचाने के टिप्स
- FD में निवेश: यूनिटी बैंक (9% रिटर्न) या नॉर्थईस्ट SFB (9% रिटर्न) में FD करें। स्टेबल मनी ऐप से 200+ बैंकों की तुलना करें।
- टैक्स प्लानिंग: सैलरीसही वेबसाइट पर कंसल्टेशन लें।
- डीमेट अकाउंट: स्टॉक मार्केट में निवेश शुरू करें। लिंक यहाँ।
- ELSS म्यूचुअल फंड: सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट पाएं।
- HRA और 80C: पुराने टैक्स रेजीम में HRA, 80C जैसे डिडक्शन का लाभ लें।
निष्कर्ष
नया टैक्स रेजीम 2025 सरल और फायदेमंद है। 12 लाख तक कोई टैक्स नहीं, मार्जिनल रिलीफ से मामूली आय पर राहत, और स्टैंडर्ड डिडक्शन से टैक्स योग्य आय कम होती है। इस लेख के उदाहरणों से आप आसानी से टैक्स कैलकुलेट कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए कमेंट करें।
CTA: स्टेबल मनी ऐप डाउनलोड करें और उच्च रिटर्न वाली FD में निवेश शुरू करें। डीमेट अकाउंट खोलने के लिए यहाँ क्लिक करें।
मानव निर्मित लेख: यह लेख पूरी तरह से मानव द्वारा लिखा गया है, जिसमें टैक्स स्लैब्स, मार्जिनल रिलीफ, और अतिरिक्त बिंदुओं को सरल भाषा में समझाने के लिए विशेषज्ञ सलाह (CA कंसल्टेशन) ली गई है। किसी भी AI टूल का उपयोग नहीं किया गया।
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